खिलवाड़ | iandpeople


हाँ  खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ,
तेरी याद में तड़पता दिन रात आहें भरता हूँ ।
हर बार कोशिश करता हूँ तूं दिल से निकल जाए ,
पर फिर मर कर तुझी से प्यार करता हूँ ।
हाँ  खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ।।

"चिराग "  रहता है ग़मगीन मुस्कुराहटो के तले ,
तेरी यादों से मुलाकातें शरे  आम करता हूँ ।
टूट जाता हूँ याद  कर बेवफाई तेरी,
वफ़ा फिर भी हर पल तेरे साथ करता हूँ ।
हाँ  खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ।।

तूँ  कहती है मेरे गीतों में है बस उदासी छिपी ,
अरे मैं तो दर्द-ए दिल अपना बयाँ करता हूँ ।
मेरे रब से मुझे मिलाने की,
तेरे रब को हर पल अर्ज़ियाँ करता हूँ  ।
हाँ  खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ।।

आ मिल जा बस आ मिल जा तूँ ,
साँस  साँस में यही दुआ करता हूँ ।
सब कुछ बाकी ,हो गया बेमतलब,
बस तेरे लिए ही जीता मरता हूँ ।

यही खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ,
बेइंतहा तुझ से प्यार करता हूँ ।।

हाँ  खिलवाड़ खुद रोज़ मै अपने साथ करता हूँ ।।







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2 comments:

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